महाविद्यालय की स्थापना और संस्कृत विभाग की शुरुआत दोनों सौभाग्य से एक साथ उदित हुए। वर्ष 1965 में एक विद्वान संस्कृत शिक्षाविद् डॉ.(पंडित) रमाकान्त झां के नेतृत्व में विभाग का संचालन प्रारंभ हुआ। आप की मेधा से ही महाविद्यालय के कुलगीत का सृजन हुआ। पिछले लगभग 60 वर्षो से सम्पूर्ण विकास की दिशा में काम करना और नेतृत्व के गुणों का पोषण करते हुए स्नातक स्तर पर छात्र-छात्राओं को कुशल बनाने का अहर्निश प्रयास किया जाता रहा है। विभाग अध्ययनशील आचार्यो का जीवंत और गतिशील समुदाय का घर है। इस लक्ष्य को समेकित करके विभाग निरन्तर महाविद्यालय की गतिशीलता में सहयोग कर रहा है।
डॉ.धात्री सिंह, डॉ. सीमा सिंह (वर्तमानअवधि) जैसे संस्कृत के विद्वानों व विदुषियों की महाविद्यालयीय पीढ़ी अनवरत चल रही है। विभाग में निरंतर शोध छात्रो का अध्ययन-अध्यापन चल रहा है। यहां केसंकाय सदस्य केन्द्रीय विश्वविद्यालय में भी अपनी सेवाऐं प्रदान कर रहे हैं। विभाग अनवरत गतिशील है, बदलते शोध के साथ अपनी पाठ्यक्रम सामग्री को संशोधित वव्यवस्थित कर के विषय को सुचारू बना रहा है।